नवंबर 2 2023 ! मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में एक बार बवाल मचा गया है। मनोज जरांगे के नेतृत्व में 24 अक्तूबर से आंदोलन चल रहा है। उधर कई स्थानों पर आंदोलन हिंसक भी हो चुका है। प्रदर्शनकारियों द्वारा कई विधायकों के आवास और सरकारी भवनों पर तोड़फोड़ और आगजनी किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। राज्य के कई जिलों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस बीच, आरक्षण की मांग के समर्थन में भाजपा के एक विधायक और शिवसेना के एक सांसद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इन तमाम घटनाक्रमों के बीच कहा जा रहा है कि यह मामला अभी शांत नहीं होने वाला है।
यूं तो महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग दशकों पुरानी है लेकिन इस साल अगस्त में यह मुद्दा दोबारा चर्चा में आया। दरअसल, मराठा नेता मनोज जरांगे के नेतृत्व में लोगों ने 29 अगस्त से जालना जिले में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू की थी। इसके साथ ही जरांगे ने मराठा समुदाय के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र की मांग उठाई।
29 अगस्त को शुरू हुआ आंदोलन जालना में पुलिस लाठीचार्ज के बाद हिंसक हो गया। 1 सितंबर को जिले के सराटी गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। इसके साथ ही पुलिस ने घटना को लेकर कई लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए।
पुलिस की कार्रवाई के चलते राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार भी बैकफुट पर आ गई। खुद राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने प्रदर्शनकारियों से माफी मांगी और कहा कि सरकार को पुलिस द्वारा बल प्रयोग पर खेद है।
इधर हिंसा के बाद भी आंदोलनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे। इस बीच शिंदे सरकार के प्रतिनिधियों ने आंदोलन के अगुआ जरांगे के साथ कई दौर की बात की। वार्ताओं के बाद 7 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की कि मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी मराठों को निजाम-कालीन कुनबी जाति के प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। 1960 से पहले मराठा समाज को कुनबी समाज का प्रमाणपत्र दिया जाता था लेकिन संयुक्त महाराष्ट्र का गठन होने के बाद यह प्रमाण पत्र मिलना बंद हो गया।
सोर्स :-“अमर उजाला”